۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
مسجد جعفریہ میں جنرل قاسم سلیمانی

हौज़ा/शहीदो का कोई धर्म नहीं होता वो पूरे दुनिया के लिए आइडियल होते हैं: तहजिबुल हसन

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,रांची: आज दिनांक 1 जनवरी 2022 को राँची के मस्जिद जाफरिया कैम्पस में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी की याद में सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रोग्राम में शहर के नामी ग्रामी उल्मा औऱ मज़हबी पेशवा ने शिरकत किए ,औऱ मूलक की मौजूदा सूरत हॉल पर चर्चा करते हुए मिस्लमानो से आपसी एतेहाद बनाए ऱखने की अपील की। सेमीनार की अध्यक्षता मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व ख़तीब हजऱत मौलाना हाजी सैयद तहजिबुल हसन रिज़वी ने की और संचालन सैयद मुज्तबा अली रिज़वी ने की। कार्यक्रम की शुरुआत कारी जान मोहम्मद मुस्तफी के तिलावत क़ुरआन पाक और नात कलाम पेश कर किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में मौलाना तहजिबुल हसन ने कहा कि हर दौर में अल्लाह वालों को इम्तिहान से गुजरना पड़ा है। हजऱत मूसा पर फिरऑन ने ज़ुल्म किया। हजऱत इब्राहिम पर नमरूद ने ज़ुल्म किया। हजऱत इमाम हुसैन पर यज़ीद ने जुल्म किया। लेकिन ज़ुल्म करने वालो का नाम व निशा मिट जाता है। मौलाना ने आगे कहा कि कभी ज़ालिम का साथ मत दो। बल्कि मज़लूम का साथ दो, शहीद क़ासिम सुलैमानी ने ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद कर रहे थे। शहीद का कोई धर्म नही होता, वो पूरे दुनिया के लिए आइडियल होते है। वहीं सेमीनार के मुख्यातिथि अंजुमन इस्लामिया रांची के अध्यक्ष हाजी इबरार अहमद ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि शहीद मरता नही है वो जिंदा रहता है। शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी हक़ और सच के साथ रहने वाले थे। वो दुश्मनो को छक्के छोडाने वाले थे। लेकिन अमरीका ने ड्रॉन हमले से शहीद क़ासिम पर हमला किया। वहीं हरविंदर सिंह ने कहा कि शहीद कोई भी हो वो मरता नही है। शहीदों को याद करते रहना चाहिए। वही सैयद नेहाल हुसैन सरियावी ने कहा कि खुदा का ज़िक्र करे और जिक्र मुस्तफा न करे, हमारी मुंह मे हो ऐसी ज़ुबान खुदा न करे। सरफ़राज़ पहाड़ी टोला ने कहा कि न घबराओ मुसलमानों खुदा की शान बाकी है, अभी इस्लाम ज़िंदा है अभी क़ुरआन बाकी है। वही सोहैल सईद ने कहा कि इस शहादत ने दिया अहले बसीरत को सबक़, कश्ती ज़ुल्म को जॉ देके डुबोना होगा। वहीं मौलाना जवाद हैदर ने कहा कि ज़ालिम के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करो। चाहे अंजाम कुछ भी हो। अपने बच्चों को दीनी और दुनयावी दोनो तालीम देना है। इनके अलावा मौलाना अंसारुल्लाह, मौलाना तौफ़ीक़ अहमद क़ादरी, मास्टर उस्मान, हाजी हलीम, मौलाना मुज्तबा, क़ारी जान मोहम्मद, आमोद अब्बास ने भी सम्बोधित किया। मौके पर सैयद मेहदी इमाम, हाजी नवाब, अब्दुल मनान, मो नजीब, गयासुद्दीन मुन्ना, मोहसिन, अब्दुल ख़ालिक़, सैयद नेहाल, सरफ़राज़ सुड्डू, मस्तक़ीम आलम, सरफ़राज़, सैयद फ़राज़ अब्बास, अता इमाम रिज़वी, आगा ज़फ़र, मौलाना रिज़वान, यावर हुसैन, शमिमुल हसन, हाजी इक़बाल हुसैन, शारुख हुसैन, एस एच फातमी, डॉ मुबारक अब्बास, सैयद समर अली, इक़बाल फातमी, प्रोफेसर एसएम अब्बास समेत कई लोग थे।

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